नारी सम्मान का दावा करने वाली पार्टी क्यों हो रही है शर्मसार?
एक ओर भारतीय जनता पार्टी “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे नारों से महिलाओं के सम्मान की बातें करती है, वहीं दूसरी ओर उसी पार्टी से जुड़े लोग लगातार अपनी करतूतों से उस सम्मान को मटियामेट कर रहे हैं।
ताजा मामला मंदसौर के भाजपा नेता मनोहरलाल धाकड़ का है, जिनका एक अश्लील वीडियो दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर वायरल हो चुका है। यह वीडियो किसी अफवाह का हिस्सा नहीं, बल्कि हाईवे के CCTV कैमरों में कैद हुआ एक शर्मनाक सच है।
एक सफेद कार, एक निर्वस्त्र महिला और बीच सड़क पर हो रही अशोभनीय हरकतें—ये दृश्य न सिर्फ मानवता को शर्मिंदा करते हैं, बल्कि उन नैतिकताओं को भी नंगा कर देते हैं जिनका दम भाजपा आए दिन भरती है।
पार्टी नेतृत्व चाहे कुछ भी कहे, मगर यह पहली बार नहीं है जब भाजपा के नाम से जुड़ा कोई व्यक्ति विवादों और अनैतिक हरकतों में लिप्त पाया गया हो। सवाल उठता है—क्या भाजपा केवल दिखावे के लिए नैतिकता का झंडा उठाती है?
या फिर जब भी कोई मामला सामने आता है, पार्टी तुरंत “प्राथमिक सदस्य नहीं हैं” जैसी ओट लेकर खुद को बचा लेती है?
राजनीतिक रसूखदारों के करीबी होना, पारिवारिक स्तर पर भाजपा से जुड़ाव रखना और सामाजिक संगठनों में बड़ी भूमिका निभाना—क्या यही वो लोग हैं जो समाज को दिशा देंगे?
कब तक पार्टी ऐसे चेहरों को ओट देती रहेगी? कब होगा असली आत्मनिरीक्षण?
देश की जनता अब समझ चुकी है कि केवल प्रचार और भाषणों से नहीं, बल्कि आचरण से ही पार्टी की असली तस्वीर सामने आती है। और अगर यही चलता रहा, तो “सबका साथ, सबका विकास” जैसे नारे सिर्फ जुमले बनकर रह जाएंगे।